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पढ़ते पढ़ते चुदाई कर दी



दोस्तों मैं आजाद लिख रहा हूं आपके लिए, आज मैं बताऊं बहुत दिन हो गये थे किसी रंगीन चूत को मारे हुए। वो मुझे बहुत प्यार करती थी, मेरी जिंदगी में उसका आना एक तूफान की तरह था, उसने मेरी नींद मेरी चैन सब उड़ा दी थी और फिर एक दिन उसने मुझे अपने घर बुलाया, उसके पापा नहीं थे और मम्मी बीमार थीं। मम्मी को दवा देकर हम दोनों बातचीत करने बैठ गये। उसने मुझे अपने पास बिठा लिया और मेरा हाथ पकड़ के बैठ गयी। मैं जानता था कि चाहती तो वो भी मुझे थी, पर उस दिन तो हद ही हो गयी। मैने उसका हाथ पकड़ा था और पकड़े पकड़े ऐसा लगा कि जैसे कोई एनर्जी ड्रिंक पी लिया हो। मेरा हाथ लाल हो गया था और मैने उसको अपने हाथों में पकड़ के अपने गले लगा लिया था। सब कुछ ऐसे हो रहा था जैसे कि हम दोनों कुछ कर ही न रहे हों। मैने उसको अपने गले लगा के उसके माथ को चूम लिया था और फिर ऐसा हुआ कि मैने जब उसको गले लगाया तो उसके चूंचे मुझे छू गये। फिर तो मैने उसको और भी जोर से भींच लिया। वो चुपचाप मेरी बाहों में थी और मैने उसको अपने गले लगाये लगाए, हल्का हल्का उसकी पीठ पर सहलाना शुरु कर दिया था। उसको अच्छा लग रह था और उसका बदन खुद बखुद हल्का ढीला हो रहा था। मैने उसको प्यार से थपथपाते हुए उसकी टीशर्ट उठा के हल्के से उसकी नंगी कमर पर अपना हाथ फिराना शुरु कर दिया था। वो अपने हाथों से पैंट के उपर से ही चूत सहला के आहे भरने लगी थी। मैने कहा, आशु जरा अपनी हाथों से मेरे पैंट के अंदर कुछ करो। वो समझ गयी कि मैं क्या चाहता था, उसने मेरे लंड को पकड़ कर के एकदम निचोड़ते हुए दबोच लिया, और फिर मेरे जिप को खोल कर मेरे लौड़े को अपने मुह में ले लिया। मैने उसकी टीशर्ट खोल कर उसके नुकीले चूंचे अपने हाथों मे ले लिये। दबोचते और मसलते हुए मैने उसको अपनी बाहों में दबोचे रखा। उसके गोल गोल और ठोस स्तन पहली दफे मैने देखे थे, वो एकदम से मस्त और मस्त थे। मैं उनका दीवाना था, टीशर्ट के उपर से मैने उसको बहुत देखा था पर आज मेरे सामने वो नंगे थे, एकदम मस्त और एक दम नंगे। मैने एक स्तन को पकड़ कर द्बोचते हुए दूसरे को अपने मुह मे ले लिया और मसलते हुए पीने लगा। दोनों एकदम से मस्त हो रहीं थी और फिर मैने उसको पेलने के मूड में आते हुए जोर जोर से स्तनपान और स्तनमर्दन करने लगा। आशु एकदम बेचैन होकर मेरे लंड को पकड़ कर सहलाते हुए दबोच ली थी। मैने उसको चोदने के लिए उसकी स्कर्ट खोल कर उसकी पैंटी में हाथ डाल दिया। मेरे मुह में उसका एक चूंचा अब भी था और उसका एक स्तन मेरे हाथों में दबा हुआ था। मैने उसके इंडियन चूंचे को दबाते हुए उसकी चूत के आस पास के छेत्र को सहलाना शुरु कर दिया था, उसने मेरे मुह में अपने चूंचों को धकेलते हुए अपने कड़े कड़े और नुकीले निप्पलों को और भी कठोर कर लिया था। मेरे लन्ड में हलचल मचा हुआ था। मैने एक चूंचे के बाद दूसरे का नम्बर लगाया और फिर अपने लंड को उसके हाथ मे थमा दिया। उसने मेरे अंड कोष को पकड़ के सहलाने लगी। जैसे जैसे वो उसे सहलाती, मेरे रीढ की हड्डी में सिहरन होने लगी, ऐसा लगा कि मेरे लंड से पिचकारी छूट जाएगी। उसको हर हरकत करने में मजा आ रहा था और मैने उसको चोदने के लिए अब अपने बाहों में उठा लिया। उसकी बिना बाल की चूत में उंगली कर के मैं पहले से ही गीला कर चुका था। अब मैने अपने लंड का सुपाड़ा उसके चूत पर रखते हुए उसको अपने गोद में उठाए रखा। उसने अपने दोनों पैर मेरे मेरे कमर के दोनों तरफ कर लिए। अपने हाथों को मेरे गले मे लपेट कर के उसने मेरे होटों में होटों को सटा दिया। लंड तो पहले से ही सटा हुआ था, और मैने अपने कमर को उचकाते हुए उसकी गांड पर टिके अपने हाथ को थोड़ा ढीला किया। उसका पैंतालिस किलो का वजन मेरे लंड पर पड़ा तो चूत को छेदते हुए दनादन लंड अंदर जाने लगा। वो अंदर जाते ही अपना बदन ऐंठने लगी और कहने लगी कि मुझे दर्द हो रहा है ,आह्ह! धीरे करो, प्लीज आह्ह! मैने उसको कहा, रुको रानी अभी ठीक हो जाएगा तुम्हारा दर्द और जैसे ही लंड अपने जड़ तक अंदर घुसा वो चिल्ला चिल्ला के अपना कमर उछालने लगी। मेरा दिमाग एकदम खराब हो चुका था, उसकी टाईट चूत को चोदने के लिए मैने अपने धक्के तेज कर लिए थे और फिर मैने उसकी चूत की बखि्या उधेड़नी शुरु कर दी। वो कमर लचक लचका के ले रही थी अंदर में और मैं उसे धकाधक दे रहा था। पंद्रह मिनट में उसकी चूत को हवा मे चोदते हुए मैं थक गया था, मैने उसको बेड पर लिटा कर उसके पैरों को हवा में उठाते हुए उनको फैला दिया और उठी हुई चूत में अपने लंड को धांसने लगा। वो एकदम से इस स्टाइल में घुस रहे लंड से बेचैन होने लगी, उसकी कमर पर पड़ रहे दबाव और लंड के अंदर और अंदर जाने से वो एकदम मस्त हो रही थी। मैने अपनी उंगली से उसकी भगनास्शा भी दबानी शुरु कर दी थी। वो फचाक फचाक लंड को अंदर लेते हुए एकदम से मस्तिया रही थी। मैने उसको इस पोज में चोदने के बाद जोर दार धक्क्कों के साथ उसकी चूत का पानी निकाल दिया। इसके बाद तेज होते धक्कों ने मेरी सांसे उखाड़ दीं थीं। जल्दी ही मैने अपने ढीले होते लंड को उसकी पानी भरी चूत से बाहर खींचा और उसके मुह में दुबारा घुसा कर आगे पीछे करना शुरु कर दि्या। वो क्रेजी होकर चुदाती रही और मैं उसको चोदता रहा। आखिर में उसने मेरा सारा वीर्य निगल ही लिया। किसी बिल्ली की तरह सुपाड़े पर लगे वीर्य को गटक के उसने मुझे खुस कर दिया। आज भी जब मैं उसको ट्यूशन पढाता हूं तो चोदना नही भूलता हूं मैं।


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